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कुंडली में स्थित मांगलिक दोष किस प्रकार दूर किया जा सकता है?

कुंडली में मांगलिक दोष होने पर क्या करें? जानें इसके कारण, लक्षण और सबसे प्रभावी उपाय जैसे पूजा, दान, मंत्र और ज्योतिषीय परामर्श।

Pandit Rameshwar Sharma

5/8/20241 min read

A serene pandit performing a sacred puja with traditional utensils in a softly lit temple setting.
A serene pandit performing a sacred puja with traditional utensils in a softly lit temple setting.

वेदिक ज्योतिष में मांगलिक दोष या मंगल दोष एक ऐसा विषय है जिसे लोग विशेष रूप से विवाह और रिश्तों के संदर्भ में बहुत गंभीरता से देखते हैं। यह दोष तब बनता है जब जन्म कुंडली में मंगल ग्रह 1st, 4th, 7th, 8th या 12th भाव में स्थित होता है। माना जाता है कि यह स्थिति व्यक्ति के विवाह, स्वभाव, व्यवहार और वैवाहिक जीवन पर प्रभाव डाल सकती है।

लेकिन अच्छी बात यह है कि वेदिक ज्योतिष में ऐसी कई विधियाँ बताई गई हैं जिनसे मंगल दोष के प्रभावों को कम, संतुलित, या निरस्त (Neutralize) किया जा सकता है।

इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि कुंडली में स्थित मांगलिक दोष किस प्रकार दूर किया जा सकता है।

मांगलिक दोष क्यों बनता है?

मंगल एक अग्नि तत्व का ग्रह है। यह ऊर्जा, साहस, पराक्रम और क्रोध का कारक माना जाता है। जब इसके प्रभाव अत्यधिक सक्रिय हो जाते हैं, तब व्यक्ति के स्वभाव और जीवन में असंतुलन या उतावलापन बढ़ने लगता है। यही स्थिति मांगलिक दोष कहलाती है।

कुंडली में मांगलिक दोष कैसे दूर किया जा सकता है?

नीचे दिए गए उपाय ज्योतिष में सबसे प्रभावी माने गए हैं:

1. मंगल दोष शांति पूजा (Manglik Dosh Shanti Puja)

यह सबसे सीधा और प्रभावी उपाय माना गया है। इसमें शामिल होते हैं:

  • मंगल ग्रह के बीज मंत्रों का जप

  • नवग्रह शांति पाठ

  • विशेष यज्ञ (होम)

  • मंगल यंत्र की स्थापना

यह पूजा मंगल की उग्र ऊर्जा को शांत करने में मदद करती है।

2. हनुमान पूजा और जप

मंगल ग्रह का स्वामी हनुमान जी को माना जाता है। इसलिए—

  • हनुमान चालीसा

  • बजरंग बाण

  • सुंदरकांड

  • राम रक्षास्तोत्र

का नियमित पाठ करने से मंगल दोष काफी शांत होता है।

मंगलवार को हनुमान मंदिर में पूजा करना भी अत्यंत मंगलकारी माना गया है।

3. मंगलवार का व्रत रखना

वेदिक परंपरा में मंगलवार का व्रत मंगल दोष को कम करने का प्रमुख उपाय माना जाता है।
इस व्रत में—

  • नमक रहित भोजन

  • दिन में एक बार भोजन

  • हनुमान जी की आराधना

शामिल होती है।

4. विवाह का उपाय: दो मंगलीक का विवाह

ज्योतिष में यह नियम विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
यदि दोनों पक्ष मंगलीक हों, तो मंगल दोष निरस्त मान लिया जाता है, क्योंकि दोनों की कुंडलियाँ एक-दूसरे के दोष को संतुलित कर देती हैं।
यह उपाय सबसे प्रभावी और सरल माना जाता है।

5. शिव पूजा और रुद्राभिषेक

मंगल ग्रह की उग्र ऊर्जा को शिव की दिव्य ऊर्जा संतुलित करती है।
इसलिए—

  • रुद्राभिषेक

  • महामृत्युंजय जाप

  • शिवचालीसा

अत्यंत प्रभावी माने गए हैं।

विशेषकर सोमवार और प्रदोष व्रत मंगल दोष के लिए शुभ हैं।

6. लाल मूंगा (Coral) धारण करना

मंगल ग्रह का रत्न लाल मूंगा है।
इसे धारण करने से मंगल की ऊर्जा सकारात्मक दिशा में काम करती है।
लेकिन ध्यान रखें—
इसे केवल ज्योतिषीय सलाह के बाद ही पहनना चाहिए, क्योंकि गलत स्थिति में यह उल्टा असर भी कर सकता है।

7. सामाजिक और दान से जुड़े उपाय

मंगल दोष को शांत करने के लिए कई सामाजिक और धार्मिक कर्म बताए गए हैं:

  • रक्तदान करना

  • मंगलवार को मसूर दाल दान करना

  • तांबे के बर्तन दान करना

  • लाल कपड़े का दान

  • जरूरतमंदों को भोजन कराना

इनमें से रक्तदान सबसे प्रभावी माना गया है क्योंकि मंगल का संबंध रक्त तत्व से है।

8. केतकी, जल और लाल चंदन से अभिषेक

शिवलिंग पर—

  • शुद्ध जल

  • दूध

  • केतकी पुष्प

  • लाल चंदन

से अभिषेक करना मंगल दोष शांति का सिद्ध उपाय माना गया है।

9. मानसिक और व्यवहारिक सुधार

कई बार मंगल दोष का असर व्यक्ति के स्वभाव में दिखता है—
जैसे गुस्सा, जल्दबाज़ी, आक्रामक निर्णय।

इसके लिए—

  • ध्यान (Meditation)

  • योग

  • अनुशासन (Discipline)

  • शांति का अभ्यास

बहुत लाभकारी साबित होते हैं।

क्या मंगल दोष पूरी तरह समाप्त हो सकता है?

हाँ, कई मामलों में मंगल दोष या तो पूरी तरह निरस्त हो जाता है या कम हो जाता है, जैसे—

  • जब मंगल शुभ ग्रहों के साथ युति में हो

  • जब व्यक्ति उपाय करता रहे

  • जब दोनों पक्ष मंगलीक हों

  • जब दशा/अंतरदशा अनुकूल होती है

इसलिए इसे लेकर डरना नहीं चाहिए—सही मार्गदर्शन ही समाधान है।

निष्कर्ष

कुंडली में स्थित मांगलिक दोष कोई ऐसी बाधा नहीं है जिसे दूर न किया जा सके।
वेदिक ज्योतिष में इसके अनेक प्रभावी उपाय बताए गए हैं—जैसे पूजा-पाठ, दान, मंत्र-जप, व्रत, और व्यवहारिक सुधार।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि व्यक्ति को अपनी कुंडली का सटीक विश्लेषण किसी अनुभवी ज्योतिष विशेषज्ञ से करवाना चाहिए, ताकि उसकी स्थिति के अनुसार सही उपाय सुझाए जा सकें।